What Is Fascism - फासीवाद क्या हैं?

What Is Fascism?

परिभाषा -

फासीवादी विचारधारा सर्वशक्तिमान राज्य का समर्थक हैं। यह किसी प्रकार का विरोध सहन नहीं करता हैं। इसका अधिकार क्षेत्र सर्वव्यापी हैं। इस व्यवस्था में राज्य की सम्पूर्ण सत्ता एक महान नेता के अधीन होती है एवं उसके पार्टी के हाथ में होती हैं। इसी के माध्यम से सभी तरह के कार्यक्रम लागू किए जाते हैं। फासीवाद व्यवस्था के अनुसार प्रतियोगी हितों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए, क्योंकि राज्य समाज की 'सामान्य इच्छा' का प्रतिनिधित्व करता हैं। लोगों का जीवन उच्चतम वैचारिक तनाव की स्थिति से ग्रस्त होना चाहिए। एक सर्वोच्च राज्य तथा प्रतिरोधहीन शासन फासीवाद विचारधारा की प्रमुख विशेषता हैं। कोकर ने कहा है कि "किसी समाज का बल या हिंसा द्वारा पूर्ण परिवर्तन कैसे किया जाए और जो किसी विधमान अथवा पूर्ववर्ती समाज के दोषों की सर्वांग या सम्पूर्ण समीक्षा पर आधारित हो।" फासीवादी विचारधारा न केवल 'यथास्थिति' को बनाए रखने की प्रतीक है बल्कि यह साम्यवाद को अपना शत्रु मानता हैं। यह साम्यवाद को किसी प्रकार से भी नष्ट कर देना चाहता हैं। क्योंकि यह सर्वाधिकारवादी विचारधारा हैं। यह विधमान समाज की उग्र अस्वीकृति तथा एक नए समाज के लिए विश्व की विजय पर आधारित महान आशावादी कल्पना से भरपूर विचारधारा हैं। इस सत्ता व्यवस्था में अंधविश्वास की तरह लोगों पर बलपूर्वक थोपा जाता हैं। इस व्यवस्था में कपोल कल्पना की तरह लोगों को मानव जीवन के परिकल्पित स्वर्ण युग के आगमन के प्रति विश्वास उत्पन्न करने का पाठ पढ़ाया जाता हैं।

स्रोत -


फासीवाद दर्शन अनेक विचारों का संयोग हैं। प्रो॰ मैक्सी ने कहा है कि फासीवादी दर्शन में अनेक तत्वों का बड़ी चतुराई से मिश्रण किया गया है और इसलिए इसके स्रोतों को खोज पाना कठिन कार्य हैं। फासीवाद मैकियावेली, थॉमस हॉब्स, नीत्शे, मार्क्स, सोरेल, मोस्का, जेम्स पैरोंंटों जैसे कई विचारकों के विचार से प्रभावित हैं। इसके कुछ प्रमुख स्रोतों को निम्न रूप में देख सकते हैं -

1. सामाजिक डारविनवाद - 


चार्ल्स डारविन ने प्रकृति में निरंतर चलने वाले जीवन-संघर्ष के सिद्धांत का प्रतिपादन किया हैं। इसी विचार से प्रभावित होकर मुसोलिनी और हिटलर ने भी कहा कि संघर्ष ही मानव-समाज की प्रगति का मूल मंत्र हैं।

2. अबौद्विकवाद -


अबौद्विकवाद से ही प्रभावित होकर मुसोलिनी ने अंधभक्ति को अपनाने पर जोर दिया था। उसने कहा कि "हमारी अंधश्रद्धा हमारा राष्ट्र है, हमारी अंधभक्ति हमारे राष्ट्र की महानता हैं। विश्वास ही पर्वतों को हिला सकता हैं, तर्क नहीं।"

3. परम्परावाद -


मेजिनी और  ट्राटस्की के परम्परावादी विचारों ने फासीवादी विचार को काफी प्रोत्साहित किया। मुसोलिनी नेे कहा था कि इटली को पुनः तीसरी बार मानवता का नेतृत्व करना हैं। क्योंकि इटली का इतिहास और गौरवपूर्ण रहा हैं।  

4. व्यवहारवाद -


मुसोलिनी जेम्स के व्यवहार से काफी प्रभावित था। इस आधार पर आगे मुसोलिनी ने कहा था कि फासीवादी दर्शन का मूल आधार व्यवहारवाद ही हैं। 

5. आदर्शवाद -


 रूसो, काण्ड, फिक्टे, और हिगेल  के आदर्शवाद विचारों का प्रभाव फासीवादी विचारधारा पर पड़ा। हिगेल का प्रभाव फासीवाद पर इतना पड़ा कि इसे हीगेल के आदर्शवाद का शिशु कहा जाने लगा।

फासीवाद का विकास (Evaluation Of Fascism) -


प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1919) के बाद इटली में फासीवादी विचारधारा का उदय हुआ। इटली प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन, फ्रांस जैसे मित्रराष्ट्रों की ओर से भाग लिया था। इटली को विश्वास दिलाया गया था कि युद्ध के बाद होने वाले लाभ में समान रूप से हिस्सा मिलेगा। लेकिन जब वर्साय की संधि हुई तो इटली को सम्मान व हिस्सा नहीं मिला, जिसकी उसे उम्मीद थी। इस निराशा के कारण इटली में विद्यमान लोकतंत्रीय शासन व्यवस्था में रहने वाली जनता असंतुष्ट हो गयी। अब वहाँ कि असंतुष्ट जनता कोई ऐसी शासन-व्यवस्था व नेतृत्व जाती थी, जो इटली को विश्व के पटल पर उचित सम्मान दिला सके। 


   चूँकि युद्ध के कारण इटली की आर्थिक व्यवस्था जर्जर हो गई थी। इटली पर युद्ध के कारण ऋण भी बढ़ गये थे। इटली की लोकतंत्रीय सरकार लगातार घाटे की बजट प्रस्तुत कर रही थी। कारखानें के मजदूर बेकार हो रहे थे। कुल मिलाकर इटली आर्थिक अस्थिरता की ओर बढ़ रहा था। आर्थिक अस्थिरता की स्थिति में संभव था कि सोवियत संघ की साम्यवादी लहर इटली की ओर हो और ऐसा ही हुआ भी। अब साम्यवादी लहर का प्रभाव इटली में दिखने लगा था। क्योंकि इटली के नवंबर 1919 के संसदीय निर्वाचन में 25% मत साम्यवादियों को मिला था। फलस्वरुप इटली में अब धरना, प्रदर्शन, हड़तालें होने लगे। कारखानों में हड़ताल के साथ-साथ मजदूर संगठन का गठन होने लगे थे। इस क्रिया-कलाप को जोर पकड़ते देेख रूस चाहने लगा कि इटली में रूस की तरह ही साम्यवादी क्रांति हो।

 
   इसी राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति में इटली में एक नई शक्ति के रूप में मुसोलिनी का उदय हुआ। प्रारंभ में मुसोलिनी साम्यवादियों के साथ ही था। लेकिन वह वर्ग-संघर्ष पर आधारित समाजवाद का रूसी मॉडल पसंद नहीं करता था। 1919 में ही मुसोलिनी ने फैसियो नाम का एक छोटा-सा संगठन का गठन किया था। इस फैसियो का मुख्य उद्देश्य था, रूसी समाजवाद का विरोध करना। फैसियो के माध्यम से मुसोलिनी वर्गहित पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय समाजवाद की स्थापना न होकर राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय समाजवाद की स्थापना करना चाहता था। फैसियो की इटली में शीघ्र ही प्रायः सभी नगरों में स्थापना कर दी गयी। फैसियो के सदस्यों को फासिस्ट और फैसियो के मत अर्थात् विचार को फासिज्म कहा गया। इस प्रकार फासिस्ट लोगों ने इसे एक राजनीतिक दल के रूप में प्रयोग करने लगे। इस राजनीतिक दल का एक और आंतरिक संगठन बनाया गया, जिसका नाम रखा गया–  स्वयंसेवक संघ। इस संघ के सदस्य एक विशेष प्रकार के वस्त्र पहनते हैं। संघ के सदस्य सैनिक के तरह अनुशासित रहते थे और इस संघ का सेनापति व नेता मुसोलिनी ही था। ध्यान देने योग्य है कि फैसियो नामक संस्था की स्थापना इटली के मिलान शहर में 1919 में मुसोलिनी द्वारा गठित था। फैसियो अब एक राजनीतिक दल का रूप ले लिया। काफी तेजी से बढ़ता गया, जहांँ 1919 में संस्थापक सदस्य मात्र 22 थे। वहीं 1923 आते-आते इसके सदस्यों की संख्या 30,000 हो गई थी। 1922 में मुसोलिनी ने एक अधिवेशन आहूत किया। जिसमें लगभग 40,000 लोग भाग लिये थे। यह अधिवेशन नैपिल्स शहर में हुई थी। इस खुला अधिवेशन में मुसोलिनी ने घोषणा की "या तो इटली का शासन स्वयं मेरे हाथ में आ जाएगा और नहीं तो मुझे रोम पर आक्रमण करना पड़ेगा।" मुसोलिनी के कड़े तेवर को देख तत्कालीन इटली के प्रधानमंत्री नियोलिती समझ गया कि अब यह सत्ता मेरे हाथ में नहीं रहेगी और वे 27 अक्टूबर, 1922 को अपने पद से त्याग-पत्र दे दिए थे।


     इस त्याग-पत्र के बाद इटली के राजा मुसोलिनी को आमंत्रित किया की इटली को संचालित करने के लिए मंत्रिपरिषद का गठन करे। इस प्रकार मुसोलिनी इटली का प्रधानमंत्री बन गया था। अब प्रधानमंत्री मुसोलिनी ने प्रयास करना प्रारंभ किया कि इटली में राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक सभी दृष्टियों से फासीवादी व्यवस्था की स्थापना हो सकें। इटली की जनता को दो प्रमुख नारा मुसोलिनी ने दिया- इटली एक महान परंपराओं वाला देश हैं। और जब तक इटली आंतरिक दृष्टि से सुदृढ़ प्रशासनिक व्यवस्था को स्थापित नहीं कर लेता और अंतरराष्ट्रीय पटल पर सम्मानजनक स्थान प्राप्त नहीं हो जाता, चुप नहीं बैठेंगे। मुसोलिनी के अनुसार आदर्शवादी सिद्धांतों का प्रतिपादन नहीं करना हैं, बल्कि सक्रिय व रचनात्मक कार्य करना हैं।  फासीवाद किसी भी तथ्य को गुप्त रखना नहीं चाहता। हमारा कार्य-क्रम बहुत सरल होगा, हम इटली पर शासन करना चाहते हैं, इटली के मोक्ष के लिए कार्यक्रम की कमी नहीं हैं, बल्कि कमी है इच्छा शक्ति से सम्पन्न व्यक्तियों की।


    इस प्रकार दुनिया का एक ऐसा शासक बना था जो स्वयं फैसियो नामक संस्था बनाया और इसी संस्था के माध्यम से अन्ततः इटली का शासक बन बैठा और एक नया वाद का राजनीतिक चरित्र गढ़ा, जिसे फासीवाद कहा गया। अन्ततः मुसोलिनी ने अपने साथियों का विश्वास खो दिया था। मुसोलिनी का अंत अच्छा नहीं रहा था। क्योंकि फासीवादी मुसोलिनी के साथियों ने उसे बाद में पकड़कर पति-पत्नी सहित 27 अप्रैल, 1945 के दिन हत्या कर दी थीं।
    उपरोक्त अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि फासीवाद का जन्मदाता मुसोलिनी था।

फासीवाद का अर्थ तथा परिभाषा (Meaning And Definition Of Fascism) –


फासिज्म इटली भाषा के फैसियो शब्द से निकला हैं। फैसियो शब्द का शाब्दिक अर्थ लकड़ियों का बंँधा हुआ बोझ होता हैं। यह शब्द रोम से संबंधित है प्राचीन काल में रोम का राज्य-चिन्ह फैसियो था। जिसका अर्थ लकड़ियों का बंँधा हुआ बोझ एवं कुल्हाड़ी होता था। लकड़ियों का बंँधा हुआ बोझ राष्ट्रीय एकता का तथा कुल्हाड़ी राजकीय शक्ति का प्रतीक था। मुसोलिनी ने इसे ही प्रतीक को अपनाया। वर्ग-संघर्ष पर आधारित साम्यवादी समाज-व्यवस्था के स्थान पर राजकीय नियंत्रण के अंतर्गत राष्ट्रीय एकता पर आधारित फासीवादी समाज-व्यवस्था को अपनाया। इस प्रकार यह अनुशासन, एकता और शक्ति का प्रतीक हैं। फासीवाद अपने पूर्व व वास्तविक रूप में एक दलीय प्रणाली हैं। जिस पर एक नेता का नियंत्रण होता है और वह सर्वाधिकारवादी होता हैं। इस व्यवस्था में कार्य को अधिक और वाद-विवाद को कम महत्व दिया जाता हैं ‌ इस संदर्भ में मुसोलिनी ने कहा था कि "फासीवाद वास्तविकता पर आधारित है, हम निश्चय तथा वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त करना चाहते हैं। मेरा कार्यक्रम कार्य करना हैं, केवल बातें करना नहीं।"


    निष्कर्ष के रूप में, उपरोक्त अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि फासीवाद का अपने क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान प्राप्त हैं। इस संबंध में एफ॰ डब्ल्यू॰ कोकर ने कहा था कि वर्तमान काल के यूरोपीय महादेश में जितनी तानाशाही प्रवृतियां आई, उन सभी का उद्गम स्थल फासीवादी इटली ही था। फासीवाद उग्र राष्ट्रवाद और सभी प्रकार के विरोधियों का दमन में विश्वास करता हैं। इसी धारा को अपनाते हुए, जर्मनी ने भी फासीवाद का ही अनुकरण किया था। जिसके कारण वहांँ का शासक हिटलर तानाशाह का प्रतीक हैं। मुसोलिनी के संबंध में कार्लो स्फोर्जा ने कहा था कि मुसोलिनी के जीवन का अंत इटालियन जनता की नीचता और महानता दोनों का सबसे बड़ा प्रमाण हैं। मुसोलिनी ने इटली के लोगों को एक जीवन-दर्शन देकर कुछ समय के लिए इटलीवासियों के व्यक्तित्व को उभार दिया था। स्थूल रूप में कहा जा सकता है कि यदि साम्यवाद जीवन का दर्शन है तो फासीवाद मृत्यु का दर्शन। साम्यवाद जियो और जीने दो में विश्वास करता है तो फासीवाद दूसरों को मार कर जीने में विश्वास करता हैं। यही मूल रूप से फासीवादी दर्शन हैं। 

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