What Is Cold War – शीत युद्ध क्या हैं?

What Is Cold War?

शीत युद्ध का अर्थ (Meaning of Cold War 

शीत युद्ध (Cold War) एक ऐसा युद्ध था जो हथियारों से नहीं, बल्कि मीडिया, मानसिकता, राजनीति और कूटनीति के माध्यम से लड़ा गया। इसमें प्रत्यक्ष रूप से हत्या नहीं होती, लेकिन वैश्विक विनाश की पूरी संभावना बनी रहती थी। यह युद्ध USSR और USA के बीच का था, जिसने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में घृणा, द्वेष और शक्ति संघर्ष को जन्म दिया। आइए विस्तार से समझते हैं कि शीत युद्ध क्या था, इसके कारण क्या थे, और इसका अंत कैसे हुआ।

शीत युद्ध की शुरुआत (Beginning of the Cold War) – 

2nd World War के बाद अन्तर्राष्ट्रीय जगत मेंं दो महान महाशक्तियांँ अपने-अपने सिर उच्चा की – USSR & USA. 2nd World War के पूर्व ही मित्र राष्ट्रों के बीच तीव्र मतभेद सामने आ गए थे। East & West Groups के राज्यों के बीच अखबारी युद्ध छिड़ गया। इसी अखबारी (Media & Mentally) युद्ध को Cold War कहा गया।

East Groups में सोवियत-संघ व अन्य पूर्वी यूरोपियन मित्र राष्ट्र और West Groups में USA, UK एवं अन्य पश्चिमी यूरोपियन मित्र शक्तियांँ मिलकर क्रमशः पूर्वी खेमा व पश्चिमी खेमा बनाये। इसी दो खेमों के बीच Medical & Mentally द्वारा युद्ध लड़ा गया जिसे Cold War कहा गया।

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शीत युद्ध के कारण (Causes of the cold war) –

  • पश्चिमी खेमा द्वारा सोवियत व्यवस्था का विरोध (Western camp opposes Soviet system) –

सोवियत संघ के साम्यवादी व्यवस्था को बर्बरता पूर्वक कुचल देने की मानसिकता से UK और France अपनी सेना भेजी थी, सोवियत सरकार की स्थापना के बाद अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता देने के सवाल पर पश्चिमी राष्ट्रों ने काफी समय तक आना-कानी की थी। जिसके कारण USSR मानसिकता रूप से प्रताड़ित महसूस करने लगा था।

  • पश्चिमी राष्ट्रों द्वारा तुष्टीकरण की नीति (Policy of appeasement by western nations) –

Western Countries को साम्यवाद से खतरा दिखता था, इसीलिए WC यह खूब प्रयास किया कि First World War के बाद सोवियत सरकार गिर जाय। साम्यवाद से डर कर ही Western Countries तुष्टीकरण की नीति को अपनाया था। Fascist Countries को भी इस कार्य के लिए उसकाया गया।

सोवियत विरोधी नीति के कारण ही UK ने जर्मनी और इटली के अधिनायकों की क्रूरताओं को भी नजर-अंदाज कर दिया। उधर यूगोस्लाविया में मार्शल टीटो के नेतृत्व में रूस समर्थक सरकार बन गयी थी। इसके विरोध में Western Countries वहाँ राजतंत्र स्थापित करने के लिये काफी प्रयत्न किया था। इस नीति को USSR समझता था। जिससे Cold War की बीज पडीं

  • युद्ध के समय सन्देह व अविश्वास (Doubt and mistrust in time of war) 

2nd World War के दौरान सोवियत संघ और Western Countries एक-दूसरे को सन्देह की दृष्टि से देख रहे थे। जो Cold War का कारण बना।

  • उपनिवेशों में राष्ट्रवादी आंदोलन (Nationalist movement in the colonies)  

 युद्ध के दौरान विभिन्न उपनिवेशों के निवासियों ने साम्राज्यवाद के विरोध राष्ट्रवादी आंदोलन छेड़ दिये थे। इन आन्दोलनकारीयों से USSR की सहानुभूति थी। जबकि इंग्लैंड की चर्चिल सरकार ने इस राष्ट्रवादी आंदोलन को कुचलने का भरपूर प्रयास किया था। Cold War स्वाभाविक था। 

  • आणविक रहस्यों को गुप्त रखना (Keep the molecular secrets secret)

 USA ने जब अणु-बम का निर्माण  किया तो UK को बताया लेकिन USSR को नहीं। जब जापान के नागासाकी व हीरोसिमा पर बम प्रयोग किया था तो UK से परामर्श लिया, लेकिन USSR से नहीं। रूस इस तरह के कार्यवाही से भयभीत हो गया और USA पर विश्वासघात का आरोप लगाया। जो Cold War का कारण बना।

  • इटली का प्रश्न (Question of Italy)  

USA & UK दोनों इटली में यथास्थिति (status Quo) स्थापित करना चाहते थे। इसके लिए Mussolini तथा अन्य Fascist तत्वों से सहायता लेना चाहते थे। इस नीति से USSR नाखूश था।

  •  पूर्वी यूरोप द्वारा रूस का समर्थन (Russia supported by Eastern Europe)  

 2nd World War के दौरान Western Countries और USSR के बीच यह समझौता हो गया था कि East European Countries में Democratic Governments की स्थापना की जायेगी, लेकिन USSR ने इस समझौता का उल्लंघन करके हंगरीबुल्गेरियापोलैंड आदि देशों में साम्यवादी सरकार की स्थापना कर डाली। चूंँकि इन देशों में USSR की लाल सेना पहले से ही मौजूद थीं। जो Cold War का कारण बना।

  • सोवियत विरोधी प्रचार (Anti-Soviet propaganda)

2nd World War के दौरान UK की सरकार अपनी सेनाओं में सोवियत विरोधी साहित्य का प्रचार कर रही थी। Media द्वारा प्रचार में USSR के सम्बन्ध में कहा गया साम्यवाद में ईसाई सभ्यता को डूबने का खतरा हैं, USSR विश्व का एकमात्र-आक्रामक राज्य हैं, यह गुण्डों का नीच गिरोह हैं, आदि। USSR ने भी Media के माध्यम से USA के विरोध प्रचार शुरू किया था, जहांँ व्यापक पैमाने पर विक्षोभ/फैला। 

  • बर्लिन का घेरा (Berlin circle)

जून 1948 में लंदन प्रोटोकॉल का विरोध करते हुए USSR ने पश्चिमी खेमा के समर्थक जर्मनी के पश्चिमी भाग में सामग्री आपूर्ति बंद कर दिया, तब पश्चिमी खेमा के राष्ट्रों ने हवाई मार्ग से उसे सामग्री भेजवाई थी। चूंकि पूर्वी जर्मनी से होकर ही वहाँ जाया जा सकता था। USSR का मित्र राष्ट्र पूर्वी जर्मनी था। इस नाकाबंदी की शिकायत सुरक्षा प्रसिद्ध में भी किया गया था।

  • तुर्की व यूनान में सोवियत दबाव (Soviet pressure in Turkey and Greece)

After 2nd World War, USSR ने तुर्की पर दबाव डालकर उसकी कुछ भूमि एवं 20 फोरस में सैनक अड्डा बनाने का अधिकार मांग रहा था। यूनान के उत्तर में पूर्वी तथा दक्षिण पूर्वी यूरोप के अधिकांश भाग पर USSR ने जर्मनी के आत्म-समर्पण से पहले ही अधिकार कर लिया था।

  • रूस की संदिग्ध गतिविधियाँ (Russia’s Suspicious Activities) 

USSR की जापान के विरोध युद्ध में भाग लेने की संदिग्धता तथा मित्र राष्ट्रों को साइबेरिया में अड्डों की सुविधा देने में संदिग्धता ने Western Countries के हृदय में रूस के प्रति संदेह पैदा कर दिया। दूसरी तरफ स्टालिन ने एक पत्र के माध्यम से रुजवेल्ट पर संदेह व्यक्त किया कि USA तथा UK जापान को हड़पना चाहते हैं। यह संदिग्धता भी Cold War का कारण बना।

  • द्वितीय मोर्चा (Second Front)  

1943 में Hitler ने USSR को काफी धन-जन की क्षति कर डाल था। इससे नाखुश स्टालिन ने मित्र राष्ट्रों से यूरोप में नाजी फौजों के खिलाफ एक दूसरा मोर्चा खोलने का अनुरोध किया जिससे नाजी फौज का दबाव रूसी सीमा पर कम हो सकें। उधर USA और UK की सेनाएंँ बाल्कन प्रायद्वीप से यूरोप में उत्तर की ओर बढ़ाने का प्रयास करने लगा। रूस ऐसा नहीं होने देना चाहता था।

    पश्चिमी मोर्चा 1944 में खोला गया। इस मोर्चा के खुल जाने से संदेह की भावना और प्रबल हो उठी। पश्चिमी सेनायें फ्रांस की ओर न जाकर बाल्कन प्रायद्वीप की ओर बढ़ने लगी थी। मित्र राष्ट्रों चाहते थे कि पूर्वी यूरोप में रूस का प्रभाव कम न हो।what is cold war internal image 2

शीत युद्ध में प्रगति (Progress in cold war) –

Cold War के लिए 12 कारणों ने युद्ध का बीज बोया। लेकिन युद्ध रूपी पौधा को विकसित करने के लिए निम्नलिखित तत्व जिम्मेवार थे, जिन्हें हम कई चरणों में विभक्त कर अध्ययन करेंगे –
  • प्रथम चरण (1946-1953)1st Stage –

प्रथम चरण में एक ऐसा दौर था जिसमें दोनों खेमा एक दूसरे को नीचा दिखाने के प्रयास में लगे रहे जहां पश्चिमी गुट रूस को गुंडों का गिरोह का वहीं रूस ने पश्चिमी गुट पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद की प्रथम बैठक में उम्र व कड़े आरोप लगाए रूस यदा-कदा Veto का भी प्रयोग करता था

साम्यवाद को रोकने के लिए मार्शल योजना भी बनाई गयी, बर्लिन का घेराव कोरिया युद्ध के समय तो Cold War अपने चरम पर पहुंच गया था। USA रूस के खिलाफ कई सैनिक संगठन बनाये। भारत का कश्मीर समस्या (1947) भी दोनों गुटों के लिए Cold War का कारण बना था। USA ने घोषणा किया कि NATO (1949) के सदस्य देशों पर हमला होने पर सहायता करेंगे।

  • द्वितीय चरण (1953-1958) 2nd Stage 

 इस दौर के प्रारंभिक काल में Cold War में शिथिलता आई, क्योंकि 5 मई 1953 को स्टालिन की मृत्यु के बाद समझौतावादी निकिता ख्रुश्चेव ने रूस में सत्ता सम्भाली, उधर USA में ड्वाइट डी. आइजनहावर राष्ट्रपति बने। अतः युद्ध में शिथिलता स्वभाविक थी। कालान्तर में हिन्द-चीन के सवाल पर पुनः Cold War में तीव्रता आ गयी। इसी दौरान कई सैनिक संगठन बने जैसनाटोसीटोबगदाद पैक्ट, वारसा पैक्ट आदि तीव्रता के लिए ये काफी थे।

1953 में रूस ने पश्चिमी गुटों द्वारा प्रस्तुत अनाक्रमण प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया 1955 में रूस द्वारा प्रस्तुत रूस-अमेरिकी मैत्री सहयोग व संधि प्रस्ताव को USA द्वारा ठुकरा दिया गया। निः शस्त्रीकरण के सवाल पर दोनों गुटों में मतभेद बना रहा। 1956 में भी हंगरी के सवाल पर तनाव बढ़ा। 1956 UK, France, Israel द्वारा मित्र पर हुए हमला का रूस ने कड़े शब्दों में विरोध किया था। 1957 में आइजनहावर के उस प्रस्ताव का रूस ने कहा विरोध किया, जिसमें USA ने कहा था कि मध्यपूर्व में किसी भी देश पर साम्यवादी आक्रमण की सम्भावना को रोकने के लिए फौज भेज सकता हैं

  • तृतीय चरण (1958-1964) 3rd Stage

लेबनान में वहाँ सरकार USA के प्रभाव को स्वीकार कर लिया। लेकिन वहाँ की जनता USA से घृणा करती थी। फलतः 1958 में सरकार के खिलाफ लेबनान की जनता ने विद्रोह कर दिया शांति हेतु USA कि 10,800 सैनिक वहाँ भेजे गए। रूस ने USA की इस कार्यवाही का विरोध किया एवं UNO में भी आवाज उठाया।

चीन में साम्यवादी सरकार की स्थापना 1949 में हुई थी। उसने सुरक्षा परिषद में अपने स्थान की मांग की। रूस ने चीन का समर्थन किया लेकिन पश्चिमी गुट विरोध किया। U-2 विमान ने एक जासूसी में पकड़ा गया। विमान चालक ने स्वीकार किया कि USA ने इसे भेजा था, वह चाहता था कि रूस में सैनिक निरीक्षण हो एवं सैनिक अड्डों की सूचना प्राप्ति के लिए भेजा गया था। यह 1 मई 1960 की घटना थी। कोरिया का एकीकरण एवं क्यूबा के सवाल पर भी मतभेद बढ़ा। क्यूबा की घटना तो ऐसी थी 2nd World War का भी कारण बन सकता था।

  • चतुर्थ चरण (1964-1979) 4th Stage

चतुर्थ चरण में ऐसा लगने लगा था कि USA और USSR के बीच शीत युद्ध में शिथिलता आयेगी। चूंकि जॉनसन और कोसिगिन इस प्रकार की घोषणा की थी। दुर्भाग्य वंश ऐसा नहीं हो सका। वियतनाम के सवाल पर जॉनसन ने उग्रवादी नीति अपना कर Cold War में और गति दे डाली। यहाँ तक 1965 में वियतनाम पर भारी मात्रा में बम गिराये गये।

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     भारत-पाक युद्ध – 1965-66 में अमेरिका पाक का एवं रूस भारत का पक्ष लेकर Cold War को गति प्रदान की। अरब-इजराइल संघर्ष 1967 में USA इजराइल का एवं USSR अरब का साथ देकर Cold War को गति दी।

    1968 में परमाणु शस्त्र प्रसार निषेध संधि हुई। इस दौरान Cold War में शिथिलता आई। लेकिन 1971 के भारत-पाक युद्ध ने पुनः तनाव बढ़ा दिया।

    हिन्द महासागर को ‘शांति क्षेत्र’ बनाने के लिए UNO ने घोषणा की थी। लेकिन USA ने इसके बावजूद ‘हिन्द महासागर’ में अपने सैनिक अड्डा बनाने की नीति से पीछे नहीं हटा। जिसके कारण USSR ने भी कहा कि ऐसी कार्यवाही के प्रति रूस उदासीन नहीं बैठेगा। यह घटना भी Cold War को गति दी।

     अफगानिस्तान (1979) में रूसी सेना भारी संख्या में प्रवेश किया। तब USA ने इसका विरोध किया USA ने युद्ध होकर रूस के साथ गेहूंँ का व्यापार व तकनीकी आदान-प्रदान को बंद कर दिया। जिससे तनाव बढ़ा।

    1985 में परमाणु विस्फोटक रूस ने बंद कर दिया। लेकिन USA ने 16 परीक्षण किये। मास्को ने इस कार्यवाही को जम कर विरोध किया। तनाव स्वतः स्फूर्त बढ़ने लगा। इस प्रकार हम देखते हैं कि कई ऐसे कारण थे जिससे Cold War को गति प्रदान की थी। उपर्युक्त घटनाओं के बावजूद भी और कई ऐसी घटनाएंँ विश्व पटल पर देखने को मिली, कि Cold War की स्थिति में काफी उतार-चढ़ाव हुआ। USA और USSR दोनों में से कोई भी अपने National Interest के साथ समझौता नहीं करना चाहते थे।

लेकिन लुका-छुपी का खेल 1989 तक चलता रहा। यही लुका-छुपी का खेल विश्व राजनीति में Cold War को 1989 तक जिंदा रखा। फिर भी इस खेल में USA भारी पड़ रहा था। अंततः इस खेल में USA की जीत और USSR की हार हुई। इस हार में स्वयं रूस भी बहुत हद तक जिम्मेवार था। जैसे गलास्नोस्त एवं प्रेस्त्रोइका की नीति।

   1990 में रूस Cold War के एकस्तम के रूप में समाप्त हो गया। इसके साथ ही Cold War का खेल भी समाप्त हो गया। 1990 के पहले रूस अमेरिका पर Speed Breaker का कार्य करता था। अब पूरा विश्व-व्यवस्था एकल हो गया हैं।

आज साम्यवादी रूस के नहीं रहने से USA बेलगाम दीखता हैं। यहांँ तक की UNO पर भी USA का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से समयानुसार हस्तक्षेप होता रहता हैं। इस तरह 1945 के आस-पास शुरू इस War की समाप्ति 1990 में हो गयी। कहा जा सकता है कि Cold War का जीवन काल लगभग 45 वर्षो का था।

गलास्नोस्त और प्रेस्त्रोइका की नीति और USA की कूटनीतिक का शिकार हो गया रूस में साम्यवाद। साम्यवाद और पूंजीवाद की अन्तर्राष्ट्रीय लड़ाई के बीच से जो परिमाण निकला वह Cold War ही था। Cold War आज भी सुषुप्तावस्थामें हैं। पूर्णरूपेण समाप्त नहीं हुआ हैं। चूंँकि रूस के बाद आज Third World War जीवित हैं।

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